Wednesday, March 16, 2011

"मौका है, देश को बचा लो"

देश के 14 प्रमुख लोगों ने केंद्र सरकार को एक खुले पत्र में साफ चेताया है कि महंगाई और भ्रष्टाचार पर जल्द से जल्द काबू नहीं पाया गया तो देश को गर्त में जाने से कोई नहीं रोक पाएगा। इन्होंने कहा कि सरकार, व्यापार या सरकारी संस्थाएं सभी से आमजन का भरोसा उठता जा रहा है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, गृह मंत्री पी चिदंबरम, वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी को लिखे पत्र में भ्रषचार को देश के लिए सबसे बड़ी समस्या बताते हुए कहा गया कि इसे जड़ से मिटाने की कोशिश युद्ध स्तर पर की जानी चाहिए। खत में कहा गया कि बजट घाटे का असर सरकार के निर्णयों पर आ रहा है।
सरकार को सबसे पहले जनता में खोए आत्म-सम्मान और विश्वास को बहाली करना जरूरी है। न्यायपालिका की वजह से जनता में थोड़ी बहुत उम्मीद बची है। इन्होंने कहा कि कर्नाटक में जो भूमिका लोकायुक्त ने निभाई है, वो भ्रषचार से लडऩे का एक उदाहरण है। उन्होंने लोकपाल बिल को जल्द राष्ट्रीय स्तर पर लाने की वकालत की है ताकि जनता का विश्वास बहाल हो सके।
गरीब अब भी अछूता
उद्योगपतियों ने स्वीकारा कि गरीबों तक आर्थिक प्रगति का लाभ नहीं पहुंच रहा। उद्योगपतियों के निशाने पर पर्यावरण मंत्री जयराम रमेश भी रहे। उनका कहना था कि कई परियोजनाओं को पर्यावरण की चिंताओं के मद्देनजर स्वीकृति मिलने में मुश्किलें आ रही हैं, क्योंकि केंद्र और राज्य सरकारों का इस मुद्दे पर नजरिया एक नहीं है।
ये भी शामिल
यजदी मलेगम, एन. वाघुल, अशोक गांगुली, जस्टिस सैम वरियावा, बी.एन. श्रीकृष्णा, प्रो. एम. नरसिम्हन, डॉ. ए. वैद्यनाथन और नचिकेत मोर।

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