महुआ मोइत्रा
- पार्थ मुखोपाध्यायविशेषज्ञ संस्था जेपी मुरुगन के वाइस प्रेसीडेंट का पद छोड़कर राहुल गांधी के "आम आदमी की ब्र्रिगेड' में शामिल होना महुआ मोइत्रा के लिए खास रहा है। पिछले साल लंदन में एक अच्छी खासी नौकरी के ऑफर को त्याग कर जब वे पश्चिम बंगाल के गांवों में, ग्रामीणों के बीच काम करने को आगे आयी, तो राजनीति से जुड़े लोगों के अलावा बंगाल के आम लोगों को भी काफी आश्चर्य हुआ था। लेकिन एक हाथ में लैपटॉप और दूसरे में ब्लैकबेरी फोन के साथ महुआ ग्रामीणों की भीड़ में भी काफी सहज नजर आती हैं। गांवों में अनपढ़ और भोलेभाले लोगों के बीच जॉब कार्ड, मनरेगा और सरकार द्वारा पंचायत में सौ दिनों के रोजगार के बारे में पूछताछ करना महुआ की दिनचर्या में शामिल हो गया है। उनको ग्रामीणों से कई तरह के अन्य सवाल करते हुए भी देखा जा सकता है। मसलन- क्या आप राहुल गांधी को जानते हैं ? क्या गांवों की तरक्की के लिए केंद्र सरकार द्वारा शुरू की गयी योजनाओं के बारे में आपको कुछ पता है? मैसेसुचेट्स में अर्थशास्त्र की छात्रा रहीं महुआ ने राहुल गांधी के आग्रह पर लंदन ऑफिस की अपनी नौकरी छोड़ दी और आम आदमी की सेवा में लग गर्यी। कूचबिहार, नदीया और उत्तरी दिनाजपुर से लेकर माओवादियों के प्रभाव वाले जिलों- पश्चिम मेदिनीपुर, पुरुलिया और बांकुड़ा जैसे जिलों में महुआ काम कर रही हैं। आदिवासियों की समस्याओं से लेकर राज्य सरकार की उदासीनता जैसे मसलों पर रिपोर्ट तैयार कर उन्होंने राहुल को भेजा है। इन इलाकों के आठ जिलों में उन्होंने स्थानीय लोगों को लेकर "स्वयंसेवी वाहिनी' नाम से एक संगठन भी बनाया है, जो सरकारी योजनाओं के कार्यान्वयन पर नजर रखता है। फिलहाल, महुआ तृणमूल कांग्रेस में है और ममता बनर्जी की अगुवाई में उन्हें विपक्षी फ्रंट का सर्वाधिक होनहार युवा राजनेता कहा जा रहा है।
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