Monday, March 14, 2011

बदल रहा है हिंदुमलकोट का चेहरा

अबोहर से अमित यायावर की रिपोर्टपाकिस्तान की सीमा पर स्थित राजस्थान की अंतिम चौकी हिंदुमलकोट को आदर्श चौकी का दर्जा देकर पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की महत्वाकांक्षी योजना पर काम चल रहा है. सीमा सुरक्षा बल और राजस्थान टूरिज्म के संयुक्त प्रयासों के चलते हिंदुमलकोट चौकी की नुहार बदल रही है. सीमा सुरक्षा बल के जवानों की मेहनत के चलते चौकी के भावी नक्शे की झलक दिखाई देने लगी है. अभी से बड़ी गिनती में पर्यटक यहां आने लगे हैं.
 हिंदुमलकोट का इतिहास भी काफी रोचक और स्वर्णिम रहा है. पहले इसका नाम ओड़की था और बीकानेर रियासत में इसे नगरपालिका का दर्जा प्राप्त था. यह वर्तमान ओड़की गांव से आठ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. वर्ष 1914 में बीकानेर के महाराजा गंगासिंह ने इस इलाके की हदबंदी का काम शुरू करवाया था. इस काम की निगरानी के लिए रियासत के दीवान हिंदुमल भी आए हुए थे. इस प्रवास के दौरान हिंदुमल बीमार पड़ गए और उनका निधन हो गया. अपने दीवान की याद को ताजा रखने के लिए महाराजा गंगासिंह ने इस कस्बे का नाम बदलकर हिंदुमलकोट रख दिया.
 आजादी से पहले हिंदुमलकोट कृषि जिंसों के व्यापार का बड़ा केंद्र था. चने के कारोबार में इस मंडी की खास पहचान थी. कराची, लाहौर, पेशावर, क्वेटा से अफगानिस्तान के काबुल कंधार तक के व्यापारी यहां आते थे. मुंबई और दिल्ली को कराची से जोडऩे वाली रेल लाइन वाया बठिंडा, हिंदुमलकोट, बहावलपुर होकर जाती थी. विभाजन ने इस मंडी को तबाह करके रख दिया. बंटवारे के कुछ समय बाद ही इस रेलमार्ग को बंद कर दिया गया. 1959 में राजस्थान सरकार ने इसे नगरपालिका से पंचायत में तबदील कर दिया. दिल्ली से आने वाली रेलगाडिय़ां 1969 तक आवागमन करती रहीं लेकिन बाद में सुरक्षा की दृष्टि से इस स्टेशन को बंद करके अंतर्राष्ट्रीय सीमा से तीन किलोमीटर दूर स्थानांतरित कर दिया गया.
 अब सीमा सुरक्षा बल और राजस्थान टूरिज्म ने इस चौकी को आदर्श चौकी का दर्जा देकर पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया है. पर्यटकों को पाकिस्तानी क्षेत्र की झलक दिखाने के लिए विशेष रूप से प्लेटफार्म बनाया गया है. चारों तरफ हरियाली के लिए पेड़, पौधे और लॉन सजाए गए हैं. ड्रिप इरीगेशन से किन्नू के बाग लगाए जा रहे हैं. लॉन की खूबसूरती के लिए फव्वारा सिंचाई पद्धति का सहारा लिया जा रहा है. पंजाब नेशनल बैंक की सहायता से पुस्तकालय की स्थापना की गई है. योग के महत्व को देखते हुए अलग से झोंपड़ी बनाकर योग संबंधी जानकारियां और चित्रों को प्रदर्शित किया गया है. इतना ही नहीं खाना बनाने के लिए सौर ऊर्जा संयंत्र स्थापित किए गए हैं. सीमा क्षेत्र विकास कार्यक्रम के तहत श्रीगंगानगर का जिला प्रशासन भी हिंदुमलकोट के विकास में अपना योगदान दे रहा है.
 विदेशी पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए आने वाले दिनों में हिंदुमलकोट चौकी पर कई नए प्रयोग करने की योजना है. चौकी पर बनाए गए दो टैंकों में फव्वारे लगाए जाएंगे. सीमा सुरक्षा बल के इतिहास और जवानों की बहादुरी से संबंधित म्यूजियम भी बनाया जा रहा है. कैफेटेरिया में खाने-पीने की वस्तुओं के प्रबंध किए जा रहे हैं. पंजाब के सादकी, हुसैनीवाला और वाघा बॉर्डर की तरह रीट्रीट सेरेमनी को शुरू करने का भी प्रस्ताव है. दर्शकों को झंडा उतारने की यह रस्म देखने की अनुमति होगी. मल्टीमीडिया केंद्र भी यहां बनाया जा रहा है जिसमें पर्यटक संगीत और सिनेमा का आनंद ले सकेंगे. घुड़सवारी और ऊंट की सवारी शुरू करने का भी प्रस्ताव है.
 हिंदुमलकोट चौकी पर हो रहे बदलाव की खबर मिलते ही पर्यटकों का रुझान इस तरफ बढऩे लगा है. अनेक युवा अपने साथियों के साथ यहां आने लगे हैं. परिवार समेत आने वालों की संख्या भी कम नहीं है. सूरतगढ़ से बच्चों के साथ आईं श्रीमती सुधा माथुर ने हिंदुमलकोट की यात्रा को अविस्मरणीय अनुभव बताया. उन्होंने कहा कि यहां आने के बाद उनको सीमा सुरक्षा बल के जवानों की कठिन जिंदगी के बारे में जानने का अवसर मिला है. भावुक होते हुए उन्होंने कहा कि यह सब देखकर उनके मन में देशभक्ति की भावना प्रबल हो गई है और इस मिट्टी से माथे पर तिलक करने को मन करता है.
 श्रीगंगानगर के सरकारी कॉलेज में प्राध्यापक इकबाल सिंह ने सीमा पार देखने के लिए सीमा सुरक्षा बल द्वारा किए गए इंतजाम को अपर्याप्त बताया. उनका मानना है कि पर्यटकों में सीमा पार का इलाका देखने की जिज्ञासा को शांत करने के लिए टावर बनाए जाने चाहिए. सीमा सुरक्षा बल और राजस्थान टूरिज्म के प्रयासों से हिंदुमलकोट के निवासी भी प्रसन्न हैं. गांव के पूर्व उप सरपंच उमेश चानना का कहना है कि पर्यटकों के आगमन से हिंदुमलकोट में कारोबार बढ़ेगा और पुरानी आभा बहाल हो जाएगी.

No comments:

Post a Comment