
उन्होंने सबसे सशक्त तरीके से जो मुद्दा उठाया है वो जम्मू कश्मीर में लगी धारा 370 का है जिसके चलते कोई भी इस प्रदेश से बाहर के प्रदेश का निवासी कामीन नहीं खरीद सकता। अनुराग ये संदेश भांजते फिर रहे हैं कि ये गैर बराबरी वाला मामला समाप्त होने पर ही पूरे देश में जम्मू कश्मीर के लोगों को बराबरी की कामीन मिल सकती है। वैसे उन्होंने धारा 370 को लेकर जो मामला उठाया है उसका फैसला करने की तो बहुत लंबी प्रक्रिया है पर यदि वे सचमुच इस गैर बराबरी को समाप्त करवाना चाहते हैं तो वे इस देश के सामने मिसाल साबित हो सकते हैं। उनके गृह प्रदेश हिमाचल में भी अघोषित धारा 370 लगी हुई है।
कोई भी गैर हिमाचली हिमाचल में कामीन नहीं खरीद सकता। वहां पर भूमि खरीदने के लिए हिमाचली मूल का प्रमाण पत्र होना बहुत जरूरी है। जबकि अनुराग जिस प्राक्सिमा फोर्जिंग कंपनी में हिस्सेदार है वो जालंधर में स्थित है। क्या अनुराग ठाकुर इस गैर बराबरी के हो रहे सुलूक को समाप्त करने के मामले में अपने पिता श्री को मनाएंगे? जो इस ससमय हिमाचल में बहुमत प्राप्त सरकार के मुखिया यानि मुख्यमंत्री हैं? यदि अनुराग हिमाचल में हो रहे इस गैर बराबरी के सलूक को समाप्त करवा दें तो ये मान लिया जाएगा कि वे सचमुच गैर बराबरी के विरोधी हैं वर्ना यही कहा जाएगा कि सियासत करो पर जरा संभल कर,कहीं लेने के देने न पड़ जाएं।
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