Monday, March 14, 2011

सुनो आरुषि, अब इन तलवारों के घर कभी पैदा मत होना!

संजय तिवारी  
सुनो! आरुषि। तुम जहां कहीं भी हो सुनना जरूर। तुम्हारी मौत के ढाई साल बाद अब साबित हो गया है ति तुम्हारी मौत केवल तुम्हारी मौत नहीं थी. यह मां-बाप के उस पवित्र रिश्ते की मौत भी है जिसे तुम्हारे बाप ने अपने पांच नंबर के गोल्फ से अंजाम दिया था. तुम्हारे जीते जी तुम्हारे मां-बाप ने तुम्हारे साथ क्या व्यवहार किया यह तो हम कभी नहीं जान पायेंगे लेकिन तुम्हारी मौत को तुम्हारे मां-बाप ने इंसानियत की मौत बना दिया है. रिश्तों की ऐसी घिनौनी मौत जिसे जान सुनकर सिर शर्म से धरती में गड़ जाता है, इसे ऊपर उठायें भी तो कैसे?
तुम्हारी मौत के बाद आधुनिक मीडिया ने तुम्हारी मौत का ट्रायल शुरू किया था. पता नहीं इसे अच्छा कहें या बुरा लेकिन उस मीडिया ट्रायल का यह परिणाम तो जरूर हुआ कि तुम्हारी मौत की जांच पड़ताल देश की सबसे हाई प्रोफाइल जांच एजंसी को सौंपी गयी. ढाई साल की अपनी जांच पड़ताल के बाद इस हाई प्रोफाइल जांच एजंसी सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट स्थानीय अदालत को सौंप दी है. अपनी इस जांच रिपोर्ट में उस हाई प्रोफाइल जांच एजंसी को यह तो लगता है कि घर के ही किसी आदमी ने तुम्हारी हत्या की है और जिस वक्त तुम्हारी हत्या हुई उस वक्त तुम्हारे मां-बाप के अलावा घर में किसी और के होने का कोई सबूत नहीं है. फिर भी सीबीआई ने तुम्हारे बाप से अधिक रिश्तेदारी निभाई है और सब संकेत करने के बाद भी सीधे तौर पर तुम्हारे बाप का नाम लेने से अपने आप को बचा लिया है. इतने से भी तुम्हारे बाप को संतोष नहीं है और वह सीबीआई पर आरोप लगा रहा है कि सीबीआई उसे तुम्हारी हत्या के आरोप में फंसा रही है.
तुम्हारी हत्या के बाद सीबीआई ने जो रिपोर्ट जो पेश की है उससे जो तस्वीर सामने आती है उसे कल्पना करके भी हम दहल जाते हैं, फिर तुमने वह सब कैसे सहन किया होगा? जब तुम्हारा बाप गोल्फ से तुम्हारे सिर पर होल बना रहा था तो तुम्हारी आंखों के खौफ को आज हम अनुभव भी कर लें तो क्या कर सकते हैं? सीबीआई बता रही है कि पहले तुम्हारे सिर पर पांच नंबर के गोल्फ से प्रहार किया गया फिर किसी तेज धार चाकू से गला........रेत..............दि.......या...
यह तो वह जो तुम्हारी जीती जागती रूह के साथ हुआ. देह के साथ हुआ. लेकिन उसके बाद अब सीबीआई अपनी जांच रिपोर्ट में जो घटनाक्रम बता रही है उसे तुम्हारी रूह ने भले अनुभव किया हो लेकिन देह तो मुक्त हो चुकी थी. तुम्हारी हत्या करने के बाद हत्यारे ने तुम्हारे गुप्तांगों को हाथ डालकर साफ किया. सीबीआई कहती है कि यह काम हत्यारे ने ही किया. हत्यारा निश्चित रूप से इतना जानकार था जो यह जानता था कि गुप्तांगों को पूरी तरह से साफ करने के बाद पोस्टमार्टम रिपोर्ट में शारीरिक संबंध बनाने की बात झूठी हो जाएगी. इतना जानकार और निहंग तो कोई डॉक्टर ही हो सकता है जो शरीर से बीमारी को हटाने के लिए रिश्तों को भी दरकिनार कर देता है. तो क्या डॉक्टरी पेशे से जुड़े तलवार दंपत्ति मर्यादाओं की यह सीमा भी भूल गये? और किस बात के लिए? अपनी ही बेटी की हत्या और उस हत्या का सबूत मिटाने के लिए? अच्छा हुआ यह देखने के लिए तुम जिंदा नहीं थी, नहीं तो जीते जी मर जाती.
गोल्फ का आकार और तुम्हारे सिर का निशान, तुम्हारे शव पर डाली गयी चादर और नौकरों का नाम आगे बढ़ाकर ही तुम्हारे परिवार ने इति नहीं की. वे उस डॉक्टर के पास भी गये जो तुम्हारा पोस्टमार्टम कर रहा था. सीबीआई भी कह रही है कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट भ्रामक है. इसे किसने भ्रामक बनाया और क्यों? कथित तौर पर अपनी आबरू बचाने के लिए जिन लोगों ने तुम्हारी हत्या की वही एक बार फिर अपने आप को पास साफ सािबत करने के लिए तुम्हारे शव का सत्यानाश कर रहे थे. यह सब क्यों? क्योंकि उन्हें शक हो गया था कि तुम्हारा शारीरिक रिश्ता तुम्हारे ही घर में काम करनेवाले एक नौकर से हो गया था...............................बस।
और जान लेना ऐसा तुम्हारे साथ ही अकेला नहीं हुआ है. तुम ऐसी ही करोड़ों अनाम बेटियों में से एक हो जो अपने घर में अपने परिवार की यातना का शिकार होती हैं. तुम्हारे साथ जो हुआ वह इंतहा थी. अकल्पनीय. तुम्हें दुनिया समाज की समझ ही क्या थी? अगर तुमसे कोई गलती हुई भी थी तो उसकी इतनी खौफनाक सजा दे दी जाए, इसको कैसे जस्टिफाई किया जा सकेगा? माननीय अदालतें तुम्हारे साथ हुई जघन्य घटना पर कौन सा न्याय सुनाती हैं, यह हम सुनेंगे लेकिन तुम जहां कहीं भी हो, इतना जरूर सुन लेना. फिर किसी जन्म में इन तलवारों के घर पैदा मत होना जो अपनी इज्जत के लिए बेटियों को इस तरह मौत के घाट उतार देते हैं.

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