पश्चिम बंगाल के इकलौते पर्वतीय पर्यटन स्थल दार्जिलिंग की गिनती विश्व के सबसे खूबसूरत पर्वतीय पर्यटन स्थलों में की जाती है। अपने खूबसूरती के कारण ही इसे पहाडिय़ों की रानी कहा जाता है। दार्जिलिंग का नाम तिब्बती भाषा के दो शब्दों दोर्जी और लिंग को जोड़कर बना है। दोर्जे का मतलब होता है इंद्र का वज्र और लिंग का स्थान यानी वह स्थान जहां इंद्र का वज्र गिरा हो। इस शहर के आसपास देखने लायक कई मशहूर स्थान हैं।
टाइगर हिल
शहर से 13 किमी दूर 8482 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। टाइगर हिल सूर्योदय के अद्भुत नजारे के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है। यहां कंचनजंगा की पहाडिय़ों के पीछे से सूर्योदय का सतरंगी नजारा देखने के लिए रोजाना देश-विदेश के हजारों पर्यटक जुटते हैं। यहां से मौसम साफ रहने पर विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट भी नजर आती है।
बतसिया लूप
यह इंजीनियरिंग का एक बेहतरीन नमूना है। सिलीगुड़ी से दार्जिलिंग के बीच चलने वाली ट्वाय ट्रेन यहां वृत्ताकार घूमती है और यात्रियों को 180 डिग्री के विस्तार में पहाडिय़ां नजर आती हैं। यह शहर से पांच किमी दूर है। यहां एक शहीद स्मारक भी बना है।
हिमालयन माउंटेनियरिंग इंस्टीटयूट
शहर में बने इस संस्थान में देश-विदेश के छात्र पर्वतारोहण का प्रशिक्षण लेने आते हैं। शहर के आस-पास की पहाडिय़ां पर्वतारोहण के लिए आदर्श हैं।
संजय गांधी जैविक उद्यान
इस उद्यान में रेड पांडा व ब्लैक बीयर समेत कई दुर्लभ प्रजाति के जानवर व पक्षी हैं। इसके अलावा लायड्स बोटेनिकल गार्डेन में तरह-तरह की वनस्पतियां देखी जा सकती हैं।
रंगीन वैली पैसेंजर रोपवे
शहर से तीन किमी दूर स्थित यह रोपवे देश का पहला यात्री रोपवे है। शहर के चौकबाजार से टैक्सी से यहां तक पहुंच कर रोपवे की सवारी का आनंद उठाया जा सकता है।
कैसे जाएं
दार्जिलिंग का सबसे नजदीकी एअरपोर्ट बागडोगरा में है जो कोलकाता, दिल्ली, गुवाहाटी व पटना से विमान सेवा से जुड़ा है। वहां से दार्जिलिंग (80 किमी) तक पहुंचने में लगभग तीन घंटे का समय लगता है। सबसे नजदीकी रेलवे स्टेशन सिलीगुड़ी के पास न्यू जलपाईगुड़ी है। वहां से भी तीन घंटे में दार्जिलिंग पहुंचा जा सकता है। दिल्ली, कोलकाता, मुंबई व देश के तमाम प्रमुख शहरों से यहां ट्रेनें आती हैं।
कब जाएं
दार्जिलिंग की सैर के लिए सबसे अच्छा सीजन है मार्च से मध्य जून और सितंबर से दिसंबर।
तापमान
गर्मी में 8 से 14 डिग्री व सर्दी में शून्य से छह डिग्री तक। यहां हिंदी, नेपाली, अंग्रेजी व तिब्बती भाषाएं बोली जाती हैं।
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