सर इबादत में हैं झुकने वाले बहुत
लब पे हर्फ़-ए-दुआ दिल हैं काले बहुत
अश्क दामन में बार-ए-गिरां बंदगी
जिंदगी के लिए गम के नाले बहुत
उन मज़ारों की बालीं पे जलते दीए
जिनकी यादों से रोशन उजाले बहुत
उनके नामो निशां मिट के जिंदा रहे
जिनकी अज़मत के चर्चे हवाले बहुत
शहर-ए-उलफत से नफरत के शोले उठे
ख्वाब क्या क्या जले रोए छाले बहुत
पेट की आग अश्कों से बुझती कहां
सानी फ़ाक़ाकशी के निवाले बहुतtotal state
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