राजस्थान देश के उन अग्रणी राज्यों में से एक है जहां राज्य सरकार ने वन्य जीव संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता प्रदान की है. राज्य में पिछले कुछ समय से वन्य जीवों की कम हो रही संख्या को देखते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के निर्देश पर वन्य जीव संरक्षण के लिए विशेष कदम उठाए गए हैं. इन कदमों की वजह से ही अकेले सरिस्का क्षेत्र में ही वन्य जीव अपराध के 37 प्रकरण दर्ज किए गए और दोषियों की धरपकड़ की गई. ऐसा पहली बार हुआ है जब किसी वन्यजीव शिकारी को न्यायालय ने 7 साल की सजा सुनाई है.
वनमंत्री रामलाल जाट ने न्यायालय के इस आदेश का स्वागत करते हुए कहा कि इस निर्णय से वन्य जीव शिकारियों को संदेश जाएगा कि यदि उन्होंने वन्य जीवों का शिकार किया तो इससे भी कड़ा दंड मिल सकता है. राज्य में वन्य जीव शिकारियों के खिलाफ मामले तो पहले भी दर्ज होते हैं लेकिन उन्हें 3 या 4 साल की ही सजा मिल पाई है. इसी दिशा में कुछ समय पहले सरिस्का में बाघों का सफाया करने वाले कुख्यात वन्य जीव शिकारियों जीवनदास व सुरता कालबेलिया को पकडऩे की कार्रवाई भी हुई.
राज्य में वन्य जीव संरक्षण के प्रति सरकार की गंभीरता का ही यह परिणाम है कि जहां सरिस्का व रणथंभौर में बाघों की संख्या मात्र 26 रह गई थी वह बढ़कर 44 तक पहुंच गई है. रणथम्भौर को देश के 37 बाघ परियोजना क्षेत्रों में श्रेष्ठ बाघ परियोजना क्षेत्र में शामिल किया जाता है. यहां वर्तमान में 41 बाघ हैं और यहां के प्रबंधन को भी देश के बेहतरीन बाघ परियोजना प्रबंधन में शुमार करते हुए राज्य सरकार ने इस दिशा में गौरव प्रदान किया है.
बहरहाल, राजस्थान में अशोक गहलोत की सरकार के सत्ता में आने के बाद वन एवं वन्य जीवों के संरक्षण की दिशा में अच्छे कार्य किए गए हैं. वन्यजीव संरक्षण के प्रयासों को इसी से बेहतर समझा जा सकता है कि रणथम्भौर देश का पहला ऐसा राष्ट्रीय उद्यान हो गया है, जहां पिछले कुछ समय में बाघों की संख्या तेजी से बढ़ी है. गौरतलब है कि देश में 2 राष्ट्रीय उद्यान और 25 अभ्यारण्य बनाए गए हैं. दो बाघ परियोजनाएं रणथम्भौर राष्ट्रीय उद्यान और सरिस्का अभ्यारण्य भी यहांं. राज्य में 33 शिकार निषिद्ध क्षेत्र घोषित किए गए हैं. बाघविहीन हो चुके सरिस्का अभ्यारण्य में रणथम्भौर के 3 बाघों को हवाई मार्ग से शिफ्ट करने के बाद सरिस्का को भी देश के श्रेष्ठ अभ्यारण्यों में शुमार किए जाने के प्रयास तेज गति से किए जा रहे हैं. रणथम्भौर में पर्यटन को सुव्यवस्थित करने के लिए ऑनलाइन टिकट का भी प्रबंध किया गया है. यही नहीं नाहरगढ़ सेंचुरी के 80 हेक्टेयर क्षेत्र में एक ही जगह पर जू, बीयर रेस्क्यू सेंटर, घडिय़ाल पार्क, लॉयन सफारी व हाथी सवारी के लिए भी 4 करोड़ 30 लाख रुपए का प्रावधान किया गया है.
सरिस्का एवं केवलादेव उद्यान में भी पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कार्ययोजना तैयार की गई है. नाबार्ड के सहयोग से रणथम्भौर, सरिस्का एवं केवलादेव में आने वाले तीन वर्षों के लिए 42 करोड़ 54 लाख रुपए की लागत से जल स्रोतों के विकास कार्य करवाने का प्रावधान भी किया गया है. राज्य में बाघों की सुरक्षा के लिए विशेष कदम उठाते हुए केंद्र प्रवर्तित योजना के अंतर्गत एक विशिष्ट बाघ संरक्षण बल के गठन की दिशा में प्रयास प्रारंभ किए गए हैं. इस पर प्रतिवर्ष 3 करोड़ 72 लाख रुपए खर्च कर बाघों की सुरक्षा की जाएगी. इसी प्रकार जोधपुर में माचिया क्षेत्र को सेंट्रल जू अथॉरिटी के मापदंडों के अनुसार बायोलॉजिकल पार्क के रूप में विकसित करने की परियोजना पर भी काम शुरू हो गया है. total state
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